ये प्राचीन शिव मंदिर देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है। इसे काली पल्टन मंदिर भी कहा जाता था क्योंकि अंग्रेजी फ़ौज में भारतीय सैनिकों को काली पल्टन का नाम दिया गया था और वो यहीं आकर पूजा अर्चना करते थे। १८५७ में एक साधू ने इन सिपाहियों में देश भक्ति का जज़्बा पैदा किया और विद्रोह की रणनीति भी यहीं तैयार हुई। १० मई १८५७ में जो चिंगारी यहाँ से उठी उसने सम्पूर्ण उत्तर भारत में अंग्रेजी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजा दिया। आज औघड़नाथ मंदिर, एक धार्मिक, सांस्कृतिक एवं देशप्रेम का प्रतीक है। शिवरात्रि के पर्व पर लाखों श्रद्धालु मेरठ छावनी में स्थित इस मंदिर के स्वयंभू शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं।