यह है मेरठ का मशहूर कैंचियांन। इसको कैंची बाजार के नाम से भी जाना जाता है। लगभग ३५० साल पहले स्थापित किया गया ये बाज़ार, मेरठ को एक अलग पहचान देता है। आप मेरठ आएं और कैंची का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। बड़े बुज़ुर्गों का कहना है कि मुग़ल काल में मेरठ में पान का कारोबार खूब पनपा। पान के पत्तों को करीने से काटने के लिए ही कैंची का आविष्कार हुआ। यही वो तंग गालियां हैं जहाँ हुनरमंद हाथ कमानी से निकले हुए सख्त लोहे को तराश कर ख़ूबसूरत कैंची को जन्म देते हैं। जो सम्पूर्ण देश ही में नहीं अपितु समस्त संसार में निर्यात की जाती है। इसकी मज़बूती इतनी है कि यह कहावत, "दादा ले पोता बरते" पूर्णत सिद्ध होती है। कई कैंचियों पर आप इस कहावत को कुरेदा हुआ भी पाएंगे।