मेरठ से जन्मी पहले स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला सदर बाजार चौक से भड़की थी। यही वो स्थान है जहां १० मई १८५७ को एक सूचना आई के अंग्रेज़ी अफसर, ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के भारतीय सिपाहियों की वर्दियां उतरवाने और उनके हथियार ज़ब्त करने के लिए चल पड़े हैं। इतवार का दिन था और सदर बाजार में लोगों का जमघट लगा रहता था। बस ये खबर फैलते ही वहां मौजूद लोगों ने अंग्रेज़ों पर हमला कर दिया। पास ही में सदर कोतवाली से धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में पुलिस के सिपाही तलवारों के साथ भीड़ के साथ मिल गए और कत्लेआम शुरू हो गया। उधर लाइन्स में सेना के हिंदुस्तानी सिपाही जिन्हे काली पल्टन कहा जाता था उन्होंने मालखाने पर हमला कर हथियार और अस्तबल से घोड़े लूट लिए और पुरानी जेल से कैदियों को रिहा करा लिया गया। और इस तरह मेरठ का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ हुआ।