भामाशाह पार्क को जिसे पहले विक्टोरिया पार्क कहा जाता था १० मई, १८५७ के महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत से जुड़े होने का अनूठा गौरव प्राप्त है। यहीं पर वो जेल थी जिसे विद्रोह की शुरुआत के साथ क्रांतिकारियों ने तोड़ दिया था और कैदियों को रिहा कर अंग्रेज़ी हुकूमत को खुली चनौती दी थी । चाहे संयोग हो या नियति, एक बार फिर यही जगह १९४६ में सुर्खियों में आई जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आज़ादी से पहले का आखिरी सत्र यहां आयोजित किया गया था। इसी अधिवेशन में यह घोषणा की गई कि भारत एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश होगा। इसलिए इस पार्क को अक्सर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दो धाराओं, यानी हिंसक और अहिंसक, का मिलन बिंदु कहा जाता है। इस पोडियम का निर्माण इसी उद्देश्य से किया गया था, जिसका २००७ में स्वाधीनता संग्राम की १५०वीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर नवीनीकरण किया गया।