मेरठ के सदर थाने के पास स्थित ये प्राचीन शिव मंदिर, एक रामायणकालीन पूजा स्थल है और शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। कहते हैं के दानव राजा मय की पुत्री मंदोदरी यहाँ पर आकर हर दिन पूजा किया करती थी और वरदान मांगती थी के उसका विवाह संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से हो। उसकी तपस्या से खुश होकर भगवान् शिव ने उसकी मनोकामना पूरी की और मंदोदरी का विवाह लंकापति रावण से हुआ। १८वी शताब्दी के अंत में मराठाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया। इसी कारणवश मंदिर की वास्तुकला मराठा प्रभाव को बख़ूबी दर्शाती है। बिल्वेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में एक संस्कृत महाविद्यालय भी है।