ये परेड ग्राउंड मेरठ में 1857 की पहली जंग-ए-आज़ादी की तारीख़ में एक अहम जगह रखता है। यहीं पर, अंग्रेज़ हुकूमत के ख़िलाफ़ हिंदुस्तानी सिपाहियों ने बग़ावत की शुरुआत में, 11वीं नेटिव इन्फेंट्री के कमांडेंट कर्नल जॉन फिनिस की गोली मार कर हत्या कर दी थी, जिससे वो स्वतंत्रता संग्राम में मारे जाने वाले पहले अंग्रेज़ अफ़सर बने। क्रांति के विफल हो जाने के बाद, ये मैदान बेकार हो गया। हालांकि, 22 साल बाद, 1879 में इस जगह पर एक रेस कोर्स बनाया गया। करीब सौ साल बाद 1976 में यहाँ एक गोल्फ़ कोर्स भी बनाया गया, जो आज भी भारतीय सेना की देखरेख में चल रहा है, जबकि रेस कोर्स सिर्फ़ गुज़रे वक़्त की एक यादगार बनकर रह गया है।