यह प्राचीन मंदिर छत्ता अनंतराम इलाके में मौजूद है। इसके निर्माण के विषय कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है इस मन्दिर का १८५७ के स्वाधीनता संग्राम से बहुत गहरा सम्बन्ध है। इसी प्रांगण में पेशवा नानाजी के नेतृत्व में क्रांति की योजना का मेरठ के सैनिक और ग़ैर सैनिक इलाकों में प्रचार होता था। शिवालय के पुजारी हरिदास स्वयं वेश बदल कर इन इलाकों में क्रान्ति के प्रति लोगों को जागृत करते थे। आज इस मंदिर के आँगन में लगा पेड़ इस बात का साक्षी है कि क्रान्ति के बाद अंग्रेज़ों ने न जाने कितने क्रांतिकारियों को इसकी शाखों से लटका कर फांसी दे दी थी।